मुहब्बत के नाम से करते यहां सारे मुहब्बत
क्योंकि नहीं इस दुनियां में इस जैसी इबादत
मुहब्बत को जिसने जिया यहाँ
अमृत छोड़ गरल ही जिसने पिया यहाँ
वह जानता है मुहब्बत में ताकत है ऐसी
नहीं इस धरा में किसी में वैसी
मुहब्बत जो चाहे वह करा सकती है
ज़र्रे को भी पर्वत बना सकती है
मुहाबत नाम की खुशबू जहाँ चाहे वहां फैले
यह साफ़ करती है यहाँ लोगों के मन मैले
सब कहते हैं
मुहब्बत नाम है इसका
मुहब्बत नाम है उसका
जरा धर ध्यान देखो
तो मुहब्बत नाम है किसका
मुहाब्बत है मीरा की भक्ति में
मुहब्बत है दुर्गा की शक्ति में
मुहब्बत है माँ के लयात्मक लोकज्ञान में
मुहब्बत है पिता के भायात्मक अनुशासन में
मुहब्बत है भाई-बहनों की प्यारी तकरार में
मुहब्बत है किसी के साथ रहने के करार में
मुहाब्बत है कृष्ण की बांसुरी की तान में
मुहब्बत है आलिम-फ़ाज़िल के ज्ञान में
मुहब्बत है परमपुरुष राम और हनुमान में
मुहाबत है गीता और क़ुरान में
मुहब्बत है
अब भी आपको पा जाने के अरमान में
मुहब्बत है कवि की कविताओं में
मुहब्बत है भारत की सती और सविताओं में
मुहब्बत शब्द की कोई परिभाषा नहीं
मुहब्बत की होती कोई भाषा नहीं
मुहब्बत में समर्पण भाव होता है
मुहब्बत में बस यही तो चाव होता है
----आनंद सावरण ---
3 comments:
mohabbat bahoot haseen ehsaas hai zindgi ka .........
its an umbrella term..presented in a right manner..
sabbash mere sher...
looking forward for..more n more creations frm u..
keep it up..
god bless
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