Saturday, August 22, 2015

---- तुम भी रचनाकार थे ???---

हम दोनों रचनाकार थे
मैं लगा करने
रचना निर्माण
तुम लगे करने
आडम्बरों का श्रृंगार 
मेरा प्रणयन अभी तक अधूरा है
सुना तुम्हारा श्रृंगार हुआ पूरा है 
तुम्हारी रचनाधर्मिता कैसी है???
----आनंद सावरण ----

Monday, February 16, 2015

---------बागी अभी भी बगावत के गुमान में है----------


एक परिंदा अभी उड़ान में है
और तीर हर शख्स की कमान में है
उस पर गजब यह कि बागी
अभी भी बगावत के गुमान में है
देख कर दुनियां की तकलीफें 
ऐ तथागत दिल छोटा मत कर
इंसानियत अभी भी जहान में है 
पैरों में है फटी जूतियां,जेब खाली 
तो क्या? मियां, शायर के ख्याल 
अभी तलक आसमान में हैं 
महबूबा हो चली है रकीब के संग
अभी भी इनकी जवानी अटकी 
इश्क़ के ही इम्तेहान में है ...
-----आनंद सावरण -///