Sunday, September 28, 2014

-----------------------क्रांति-कुल-कलियुग-कन्हैया "भगत सिंह" ---------------





ओ! युवता के 
प्रकाशस्तंभ
भगत!!

सड़क पर सोया हुआ
आदमी बुरा लगता है

ब्रांडो के पीछे भागता
युवा बुरा लगता है
रखैल से रतिरत
अधेड़ बुरा लगता है
पतले रिक्शेवाले के रिक्शे पे
बैठा मोटा बुरा लगता है



ओ!मृत्युविजेता
भगत!!


तथाकथित शाइनिंग इंडिया

अच्छे दिन,भारत निर्माण
अब बहुत बुरा लगता है
एकांगी व्यवस्था के
नियोजन से
विदर्भ,नंदीग्राम
में मरता हुआ किसान
बुरा लगता है
किसी कंपनी के प्रचार में
दांत चीयारे नायक बुरा लगता है



ओ!उच्च चेतना
भगत!!



फिर आ जाओ
करो एक धमाका फिर से
बहरों को सुनाने के लिए
बतलाने कर लिए
संवृद्धि और विकास में अंतर होता है
चेताने के लिए
संवृद्धि के बने द्वीप और
असह्य भूख से पेट पर कपडा बांधे
व्यक्ति में अंतर होता है !!!!!!



.....आनंद सावरण.....