कवि से जन्म लेती है कविता
पर्वत से जन्म लेती है सरिता
सरिता लेती है जन्म
प्यासों को तृप्त बनाने को
फिर सागर में मिल जाने को
कविता लेती है जन्म
भावशून्यों के मन में भाव जगाने को
नीरस हृदयों में घर कर जाने को
सागर से मिलने पर
सरिता बन जाती है बादल
प्यासी धरती को तृप्त कर जाने को
अधरों से मिलने पर
कविता बन जाती है संबल
अकेले में स्वयं को स्वयं से मिलाने को
---आनंद सावरण---
1 comment:
bahut hi achha .....keep it up....
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