Friday, December 24, 2010

भारत क्या?

आज सहसा एक प्रश्न मेरे अंतर्मन में आया और वह मेरे तन मन को कुछ सोचने को आंदोलित कर गया| वह प्रश्न था कि भारत है क्या? क्या भारत एक भौगोलिक इकाई मात्र है? या ये एक राजनैतिक परिधि है? या किसी वीर रस के कावि की कल्पना मात्र है?यदि कल भारत का रूप थोडा सा विस्तृत हुआ या फिर कल भारत की सीमा में कुछ संकुचन आया तो क्या तब भी वह भारत ही रहेगा?
        अपने को हम बड़े गर्व से भारतीय कहते हैं, अपने को हम भारत माँ का बेटा बताते हैं|कल जब भारत की परिधि के अन्दर पाकिस्तान और बाग्लादेश आते थे तब क्या वह भारत नहीं था?या उस समय के भारत के निवासी भारतीय नहीं थे?आज जब हम भारत माता का जयघोष करते हैं तो कहीं ना कहीं स्वतः यह प्रश्न मन को कचोटने लगता है की कहीं हम उस सीमा रेखा का तो जयघोष नहीं कर रहे हैं जो भारत और पाकिस्तान की विभाजक रेखा के रूप में जानी जाति है?
काफी विचार करने के बाद लगता है की भारत जैसे वृहद् शब्द को कोई भोगोलिक इकाई परिभाषित नहीं कर सकती है|भारत एक सोचने समझने का तरिका है,यह एक जज्बा है|यह उस साहस का नाम है जो विभाजित होने के बावजूद भी मुस्कुराकर अपना परिचय भारत बताता है|भारत भारतीयों के मन का एक भाव है|यहाँ के नागरिकों की आपसी समझदारी का नाम भारत है जहां पर कई धर्म, कई पंथ,कई जाति,कई प्रदेश के लोग एक साथ प्यार से रहते हैं और पूछे जाने पर हर कोई अपने को गर्व से भारतीय बताता है |भारत उस सहस का नाम है जो कई दंश अपने दिल पर सहने के बावजूद प्रगति पथ पर अग्रसर है|
इसी जज्बे को सलाम करते हुए कवि इकबाल नें लिखा था-
"यूनान,मिस्र,रोमा सब मिट गए जहां से,
अभी तक है बाकी नामों निशाँ हमारा
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तान हमारा||"
                                                                                                                                                   ---आनंद सावरण---

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