Tuesday, December 21, 2010

------------कश्मीर ------------

भारत के उत्तर में स्थित
दिखती जो तस्वीर है
धवल हिमालय से आच्छादित
वह अपना कश्मीर है
ऋषियों मुनियों का स्थल है
स्वर्ग से भी यह प्यारा है
सेब,गलीचे,रेशम,केसर
का खूब दिखता नज़ारा है
पर आतंकवाद के मंसूबों से
कश्मीर हमारा हाय बदल गया
पत्थरबाजों कि करतूतों से
कश्मीर हमारा हाय दहल गया
केशर कि खुशबू थी जिसमें
कश्मीर हमारा कहाँ गया?
कल्ल्हड़ कि रजतरंगिनी  का
वह वृहद् नजारा कहाँ गया?
हिन्दू-मुस्लिम संबंधों का
वह भाई चारा कहाँ गया?
अब तो हालत ऐसी है
कश्मीर में फैली हिंसा है
गौतम गांधी के देश में अब
दिखती नहीं अहिंसा है
भारत माँ के मस्तक को
पत्थरबाजों ने रौंदा है
कभी आतंकी बंदूकों ने
किया मौत का सौदा है
आतंकवाद के सापों ने
डल झील में विष फैलाया है
जिसको हमने पुचकारा था
उसने ही आग लगाया है
अरुन्धतियों के वाक् तीर भी
जनता को उकसाते हैं
अलगाववाद के नारों का
यह सही रूप ठहराते हैं
कुछ भी हो आतंकवाद की
पौध अब ना उगने पाए
कश्मीर स्वर्ग है पहले से
नर्क अब ना बनाने पाए
सच है यह कश्मीर देश का
मस्तक रुपी हिस्सा है
यह आतंकवाद को झुठलाने की
सबसे बड़ी परीक्षा है
हमने ली है कसम आज
हम प्राणों की आहूति दे देंगे
लेकिन भारत माँ के मस्तक पर
कलंक अब ना लगने देंगे
आओ हम सब एक साथ चलें
यह आज हमारा नारा है
कश्मीर शीर्ष है भारत का
यह हमको प्राणों से भी प्यारा है
                                             ---आनद सावरण---

1 comment:

Anonymous said...

superb!!!!! its one of the best creations by the poet.
लेखनी तेरी करे,
प्रछन्नता अनावरण
प्रखर बने,मुखर बने,
सिद्धहस्त आनंद सावरण