Tuesday, March 6, 2012

----------मैंने देखा--------------

मैंने देखा
एक भूखा बच्चा
अपने दुर्बल माँ की छाती से लिपटा हुआ
मैंने देखा
एक प्रसिद्द साधू
सोने चांदी की कुर्सी में चिपका हुआ
मैंने देखा
एक बूढा बाप
अपने जवान बेटे की लाश उठाये हुए
मैंने देखा
एक प्रसिद्ध समाज सेवी
फर्जी संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन करवाए हुए
मैंने देखा 
एक धनी व्यक्ति
एक वैश्या पर रूपया लुटाते हुए
मैंने देखा 
एक छोटा बच्चा 
पढने की उम्र में रिक्शा चलाते हुए 
मैंने देखा 
एक धनी बुड्ढा
एक गरीब लड़की से व्याह रचाए हुए
मैंने देखा
एक आदर्श विद्यार्थी 
सिगरेटे के धुएं से छल्ले बनाए हुए  
  ----आनंद सावरण-----

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