Sunday, January 22, 2012

पीर पुराण के आगे प्रणय गान की पुस्तक मोटी है

तेरे झूठ को भी सच
मान कर आँखे रोती हैं
सबकी सच बातें भी मेरे
विश्वास के आगे छोटी हैं  
प्रतिभा भी आज चन्द
सिक्कों के आगे छोटी होती है 
देखो आज टूटता जाता दीपक
बुझती जाती ज्योति है 
कुछ  भी हो,कैसा भी हो पर   
पीर पुराण के आगे सदैव ही 
प्रणय गान की पुस्तक मोटी है
                                         ----आनंद सावरण ----