तेरे झूठ को भी सच
मान कर आँखे रोती हैं
सबकी सच बातें भी मेरे
विश्वास के आगे छोटी हैं
प्रतिभा भी आज चन्द
सिक्कों के आगे छोटी होती है
देखो आज टूटता जाता दीपक
बुझती जाती ज्योति है
कुछ भी हो,कैसा भी हो पर
पीर पुराण के आगे सदैव ही
प्रणय गान की पुस्तक मोटी है
----आनंद सावरण ----
2 comments:
bhot khoob...
bohot khooobbb sir ji
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