प्रीति का रंग जब से मैंने चढ़ा पाया है
चाँद सूरज तो क्या आकाश नया पाया है
बीता पतझड़ लगा मौसम नए बहारों का
प्रकाश नित नया झलका नए सितारों का
दूर कितनी भी रहो फिर भी मुझको लगता है
साथ मेरे हर एक पल तुम्हारा साया है
प्रीति का रंग जब से मैंने चढ़ा पाया है
चाँद सूरज तो क्या आकाश नया पाया है
विचार मुक्त हैं गीतों में नया भाव जगा
छंद मुक्तक और दोहों में नया चाव जगा
काफिया तंग था मेरा पर अब तो ऐसा लगता है
भावगीतों ने नया मर्म फिर जगाया है
प्रीति का रंग जब से मैंने चढ़ा पाया है
चाँद सूरज तो क्या आकाश नया पाया है
बांसुरी होंठ चढ़ी धुन भी नयी सजने लगी
कली भी पुष्प में अब रंग नया भरने लगी
हंसी में जलतरंग साँसों में उसके मधु सी महक
दिल है तेरा सातों कंचन भी उसकी माया है
प्रीति का रंग जब से मैंने चढा पाया है
चाँद सूरज तो क्या आकाश नया पाया है
---आनंद सावरण---
चाँद सूरज तो क्या आकाश नया पाया है
बीता पतझड़ लगा मौसम नए बहारों का
प्रकाश नित नया झलका नए सितारों का
दूर कितनी भी रहो फिर भी मुझको लगता है
साथ मेरे हर एक पल तुम्हारा साया है
प्रीति का रंग जब से मैंने चढ़ा पाया है
चाँद सूरज तो क्या आकाश नया पाया है
विचार मुक्त हैं गीतों में नया भाव जगा
छंद मुक्तक और दोहों में नया चाव जगा
काफिया तंग था मेरा पर अब तो ऐसा लगता है
भावगीतों ने नया मर्म फिर जगाया है
प्रीति का रंग जब से मैंने चढ़ा पाया है
चाँद सूरज तो क्या आकाश नया पाया है
बांसुरी होंठ चढ़ी धुन भी नयी सजने लगी
कली भी पुष्प में अब रंग नया भरने लगी
हंसी में जलतरंग साँसों में उसके मधु सी महक
दिल है तेरा सातों कंचन भी उसकी माया है
प्रीति का रंग जब से मैंने चढा पाया है
चाँद सूरज तो क्या आकाश नया पाया है
---आनंद सावरण---
1 comment:
simply too good, especially i like last 4 lines .keep it up and wish you all the best.
Post a Comment