मन में छाया ख्वाब सुनहरा,
खुशहाली फैलेगी चहुदिश ,
लो फिर से आ गया दशहरा||
रावण राम युद्ध होगा जब,
हम नैनों से वार करेंगे,
लाज की ढाल लगा लेना तुम,
जब भावों के तीर चलेंगे,
संवेदन मचलेंगे फिर से,
जीवन में होगा उजियारा,
खुशहाली फैलेगी चहुदिश,
लो फिर से आ गया दशाहरा||
प्यासा मन फिर तृप्त बनेगा,
स्वाती पीयूष पुनः टपकेगा
पपीहा सा मैं निरखूँगा फिर,
बरसों बाद चाँद निकलेगा,
निरख तुम्हारे कंचन मुख को ,
पाऊँगा उत्साह दुबारा,
खुशहाली फैलेगी चहुदिश,
लो फिर से आ गया दशहरा||
शब्द नहीं अब बीच हमारे,
संवेदन ही बने सहारे,
कुछ तेरी मजबूरी होगी,
या होंगे कुछ फ़र्ज़ हमारे,
इंतज़ार तुम मेरा करना ,
सच होने तक सुन्दर सपना,
जिस पर है विशवास हमारा,
जिस पर है विशवास हमारा,
लो फिर से आ गया दशहरा ||
-----आनंद सावरण----
3 comments:
Ek bahut hi aachi kavita Dusshera ke din Dusshera par.
Ab jab jab tum yahan ek kavita "add" karoge hum toh surely use "like" karenge.
is kalyug me ramraj ki jivant vardan kiya gaya hai........UTTAM...
accha hai shuruaat to badi bhaari ki pandey ji ne...aage bade hamara pyar aur dua tumhare saath hai...
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