चलता जा तू अपने पथ पर लिया विचारों की ज्वाला
मार्ग कठिन हो भले तुम्हारा तुमसा ना चलने वाला
तू मनु का पूत सपूत तो क्यों सोच रहा है मतवाला
ठोकर बन जायेंगे मील के पत्थर यदि तू है चलने वाला
तू सोच रहा क्यों अर्जुन सा हे समर भूमि में मतवाला
क्या फिर गांडीव में जंग लगी या टूट गया रथ की माला
क्या कृष्ण तुम्हारा बिछड़ गया या,भटक गए तुम पथ अपना ??
क्या तुम में पाने की शक्ति नहीं जिसका देखा तुमने सपना
तुम में है वो शक्ति भरी तुम टकरा सकते हो तूफानों से
करो भागीरथी प्रयत्न अगर गन्गा आ सकती मैदानों में..
तुम कालकवलित हो जाओ पर लक्ष्य ना तुम अपना छोड़ो
अपने मन के घोड़ों को ले कर्मभूमि में दौड़ो
-----आनंद सावरण -----
6 comments:
phenomenal
padai me man lagao..
veecharon me navinta tatha utshah hai......
keep it up!!!!
very motivating...n excellently written......
badi urja se bhari rachna hai anand ji..aasha karte hai aage bhi is prakar se aap hamari urja se srot bane rahenge.
i think it is one of your best, really like it
awesome line "kya gandiv me jang lagi ya tuti rath ki mala"
great work
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