tag:blogger.com,1999:blog-4241955420090985454.post2546077977272409299..comments2014-10-17T11:23:21.302-07:00Comments on अनुभूति की अभिव्यक्ति: ---अपनी पहचान एक विन्दु के रूप में---Unknownnoreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4241955420090985454.post-78143796719876378352011-01-16T01:05:40.454-08:002011-01-16T01:05:40.454-08:00अभी तक लिखी गयी सारी रचनाओं में श्रेष्ठतम !
आचार्य...अभी तक लिखी गयी सारी रचनाओं में श्रेष्ठतम !<br />आचार्य चतुरसेन ने जब 'वैशाली की नगरवधू ' लिखी तो उन्होंने लिखा-"अभी तक लिखी गयी अपनी संपूर्ण साहित्य सम्पदा को प्रसन्नता से रद्द करते हुए मै इसे अपनी प्रथम कृति घोषित करता हूँ' इस तरह से मैं कह सकता हूँ की ये तुम्हारी 'वैशाली की नगरवधू' है <br />rating- <br />संवेदना- *****<br />शैली- *****<br />प्रस्तुतीकरण- *****<br />ग्राह्यता- *****<br />शब्द संयोजन-*****Anonymousnoreply@blogger.com